कैसे कहूं मैं उनसे
तुझे शिकायत है मुझसे
मैं कुछ कहता नहीं
कभी तुमसे अपना प्यार
मैं जताता नहीं
क्या करूं मैं तो मजबूर हूं
अपनी आदत से
तू भी तो हाले दिल अपना
मुझे सुनाता नहीं।।
मैं कुछ कहता नहीं
तुमसे डरता हूं मैं
कैसे कहूं कितना प्यार
तुमसे करता हूं मैं
मिलती है खबर जब
तेरे आने की शहर में
सबकुछ छोड़ छाड़ के
मिलने आ जाता हूं मैं।।
देखता हूं तुझे जब
सबकुछ भूल जाता हूं
है दिल में बहुत कुछ
तुझसे जो कहना है
आजतक मैं कह नहीं
पाया तुमसे ये
हो इजाज़त तो ताउम्र
तेरे दिल में रहना है।।
डर था मुझे तू बुरा
न मान जाए कहीं
तू मुझसे और भी दूर
न हो जाए कहीं
इसलिए मैं आजतक
खामोश ही रहा
डर था, तू मुझको
न छोड़ जाए कहीं।।
दिल में मेरे है अरमान
तेरे संग रहने का
अब वो वक्त आ गया
तुझसे कहने का
बहुत मुश्किल हो गया है
अब रहना तुझ बिन
हिम्मत अब मुझमें नहीं
गम ए जुदाई सहने का।।