कैसे कहुँ
तुमसे मुहब्बत है मेरे सनम , ये कहने की बात नही,
जरा नजरो से समझा करो
तुम रूह में समाये हो मेरी किस कदर ये कैसे कहुँ,
जरा नजरो से समझा करो
तुझ बिन कटते नही मेरे रात और दिन कैसे कहूँ ,
जरा नजरो से समझा करो
तुम मेरी इबादत हो दुआ हो इस दिल की कैसे कहूँ,
जरा नजरो से समझा करो
तू बस गया है मुझमे रब की तरह सनम कैसे कहूँ
जरा नजरो से समझा करो
मुझे जरुरत है जिस दिलो सुकून की ,वो तुम हो कैसे कहूँ,
जरा नजरो से समझा करो
जीती हूँ मरती हूँ बस तेरी मुहब्बत में , कैसे कहूँ
जरा नजरो से समझा करो
तुम मेरी जरूरत मेरी जिंदगी हो , कैसे कहूँ
जरा नजरो से समझा करो
तुम हो तो मै हूँ , तुम नही तो मै भी नही कैसे कहुँ
जरा नजरो से समझा करो
ओ सनम मेरे हमदम मेरी जिंदगी मेरी मेरा हर लम्हा मेरा सुख दुःख बस तू ही हैं तू ही है एक तू ही तो है