-कैसे कर पाऊंगी
कैसे कर पाऊंगी??
पिता की आंखें भर आईं,
पूछे मेरी बिटिया,
बाबा! मेरा घर कौनसा??
जिस आंगन में खेली,
जिस घर के हर कोने को
मैंने सजाया,महकाया,
जहां मैंने सब कुछ पाया,
आपका दुलार, मां का प्यार,
बताओं बाबा!
दोनों ने मेरे नखरों को उठाया,
मेरी परेशानी को चुटकी में सुलझाया,
या बाबा,शादी के बाद
जिस घर में जाऊंगी,
जहां सारे नियम निभाऊंगी,
किस को अपनी परेशानी बताऊंगी,
अपनी मर्जी भूल जाऊंगी,
बाबा के घर की मस्ती भूल जाऊंगी,
जिम्मेदारी को आंखों में लेकर सोऊंगी,
कैसे कर पाऊंगी बाबा, ये सब…..
बताओं ना!अपना घर बना पाऊंगी,
मान-मर्यादा, रस्मों रिवाज
रहन-सहन, कामकाज,
सब कुछ तो बदलेगा,
कैसे कर पाऊंगी?
अपनी इच्छाओं को अपने अंदर समेट
आंचल में सब गमों को लपेट
सब अब सिखा दो ना बाबा,
आपका नाम ससुराल में रोशन कर पाऊं,
सबको खुशियां बांटती भी जाऊं।
बाबा!!!
मैंने मां को ये सब कुछ करते देखा,
सबके लिए जीते देखा,
मुझे भी सिखाओं ना है यह कला,
मां-बाबा पारंगत कर दो मुझको,
पराए घर जाने की शिक्षा दो।।
नाम -सीमा गुप्ता (अलवर