कैसे करूँ मैं शुक्रिया
****** कैसे करूँ मैं शुक्रिया (ग़ज़ल) *******
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जब से लगी सावन झड़ी बहता नयन में नीर है,
आई नहीं मिलन घड़ी मन में उठी जब से पीर है।
है हाल वो बेहाल तब से नैन मेरे संग जो तेरे लड़े,
आँखें नशीली जो सीने लगी जैसे नुकीला तीर है।
है प्यार मोतीचूर सा जिसको मिले मीठा लगे,
वो जायका जो प्रेम का जैसे मधुर सी खीर है।
लो आ गया मुझको मज़ा जब से मिले प्यारे मुझे,
रांझे बने हो आप मेरे बन गये हम हीर है।
कैसे करूँ मैं शुक्रिया बता दे यार मनसीरत यहाँ,
हो आ गए तुम जिंदगी में खुल गई तक़दीर है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)