कैसे एतबार करें।
एक ही गलती बार बार करें।
कैसे हम तुझपे एतबार करें।
..
लुत्फ इसमें भी खूब आता है।
मुसलसल तेरा इंतजार करें।
..
चाशनी बन लिपट के वार करें।
एक दूजे का हम शिकार करें।
..
खुद को सौदा बना के बैठे हम।
अपनी हस्ती को ही बाज़ार करें।
..
एक दूजे के ज़ख्म को खुरचे।
खुद को हम ऐसा गमगुसार करें।
..
कल को सोचेंगे कब चुकाएंगे।
आज दिल भरके हम उधार करें।
..
लानतें क्यों किसी पे भेजे हम।
क्यों “नजर” खुद को शर्मसार करें।
..
कुमारकलहंस