कैसी है मेरी जिंदगी
ओश की बूंद सी बन बैठी ये जिंदगी
तू यूं बेजान मत बन ये जिंदगी
जरा उठकर देख तेरे अंगे समुद्र भी खारा लागे
तू बुझा सकती है बहुतों की प्यास ये जिंदगी
तुझ में है शीतल जल
नहीं देखा तूने भी कल
मैं कहता हूं चल
तू इन तूफानों से भी मत हल !
तू खेतों का है , हल
जरा मुश्किल है तेरे लिए कुछ ये पल
तू यूं मुश्किलों से मत हल
तुझमें ही समाया है कल ।
ठहर कर सोच निकलेगा हर बात का हल