कैसी ये शिकायतें?
कैसी ये सिकायते
कैसी ये शिकायतें ?
जरा आज कहिए,
दागी उतनी ही लगेगी
जितनी पहले मिली थी ।
कानाफूसीयों का कहना
जरा आज समझिए,
दिल पर उतनी ही बीतेगी
जितनी पहले सुनी थी ।
शरीर का कराहना
जरा आज साहिए,
पीड़ा उतनी ही होगी
जितनी पहले हुई थी ।
घटाओं की तरह झुकना
जरा आज दोहराइए,
मजबूरियाँ उतनी ही होंगी
जितनी पहले थामी थी ।
बंदिशों की ये दीवारें
जरा आज ढहा दीजिए,
उंगलिया उतनी ही उठेंगी
जितनी पहले दिखी थी ।
कैसी ये विंडबना ?
जरा आज देखिए,
चोट उतनी ही पँहुचेगी
जितनी पहले लगी थी ।