कैसी उधेड़बुन है ?
कैसी उधेड़बुन है ?
सोचूँ क्या होता है ,
क्यों होता है?
क्यों अक्सर मुझ संग होता है?
क्या नाराज़ किया किसी देवता को मैंने?या फलीभूत है मेरे कर्म,
कश्मकश रहती भाग्य और मेहनत के दरमियाँ,
मिला जो मेहनत से,
उसका श्रेय भाग्य को किस प्रकार दूँ , रहती उधेड़बुन दिल और दिमाग में,
रहती उधेड़बुन दिल और दिमाग में….