कैसी आजादी…? कैसा 15 अगस्त…?
कैसी आजादी…?
कैसा 15 अगस्त…?
खुशी कैसी, कैसे रहे मन मस्त
कैसे मनाऊं, मैं 15 अगस्त
तुम्हें मनाना है क्या …?
मनाओ न, रोका किस ने है ?
रोक भी कौन लेगा…?
कौन तुम्हारे बिरुद्ध कुछ कर लेगा ?
बांध के हमारे जबरों को
मुँह में जाबी डाला है,
हमारे हिस्से का निवाला दोस्तों को दे डाला है
रोजी रोजगार से मजूरों को निकाला है,
धर्म को बाजार में धंधा बना डाला है,
बेटियों को भेड़ियों का बनाया तुमने निवाला है
हर जगह तुम्हारे डंडे का ही बोल बाला है ?
फिर कहते हो ये सरकार
जनता के हक की बात करने वाला है।
जख्मों पे पहरे लगा कर
फिर कहते हो चिनार को देखो
कितना मस्त मतवाला है,
खड़ा है बाहें अपनी फैला के वो
खुश कितना वो दीखता है
कौन सा घाव दिया है हमने
जो इतना तुमको दुखता है
कहाँ से बताओ वो रिस्ता है
जो हमें नही बस तुम को ही दिखता है
हमने तो बस तुम्हें कुछ बुलंद किया
ताले में ही तो बस बंद किया है
अब अपनी दांत से जीभ को काटो
खुद अपना तुम घाव को चाटो
याद रहे बस इतनी बात
आजादी के जश्न में
दर्द से तुम्हारे पड़े न कोई व्यघात
अब कहो…
कैसी आजादी…?
कैसा 15 अगस्त…?
…सिद्धार्थ