कैसा
आस किसी की साथ किसी का
यह कैसा जीवन है
प्यास किसी की जाम किसी का
यह कैसा जीवन है ।।
बचा बचा कर के नज़रें
वह भी आगे से अब गुज़रें
तन है किसी का मन है किसी का
यह कैसी धड़कन है ।।
सावन भादों चले गये
हम पतझड़ में छले गये
दाँत किसी के ज़हर किसी का
यह कैसा दुश्मन है ।।
इठलाती बलखाती प्रीत
गाती है कोई नया गीत
तान किसी की बोल किसी के
यह कैसा गुंजन है ।।
अल्फ़ाज़ों को ग़श है आया
क्या सोचा था क्या है पाया
शूल किसी के दर्द किसी का
यह कैसा दामन है ।।
गुण यूँ उसके बदल गये
सब सुन कर के उछल गये
साँप न कोई कोई अजगर
यह कैसा चंदन है ।।
होनी पर छाई बदहाली
अनहोनी ने जगह छिकाली
शब्द किसी के ध्यान किसी का
यह कैसा चिंतन है ।।
अजय मिश्र