कैसा इश्क़ करती हो तुम
तुम याद तो कर लो ज़रा,
मुझ को दिल में रख लो ज़रा ।।
दिल है मेरा चुराया तुमने,
अपना मुझ को बनाया तुमने ।।
अब सितम ढा रहे हो तुम
बे-वजह तड़पा रहे हो तुम ।।
कैसा इश्क़ करती हो तुम,
दिल की कब सुनती हो तुम ।।
ख़ुद से धोखा कर रही हो,
जो मुझ से मुँह फेर रही हो ।।
बसता हूँ धड़कन में तेरी,
क्यूँ करती साथ अपने हेरा-फेरी ।।
आख़िर कब तलक ऐसा करोगे,
कब मुझ से अपना हाल कहोगे ।।
हनीफ़_शिकोहाबादी✍️