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3 Jun 2021 · 1 min read

कैसा अपना खिलाड़ी निकला

ग़ज़ल
कैसा अपना खिलाड़ी निकला।
बिगड़ा खेल अनाड़ी निकला।।

मुँह का स्वाद बिगाड़ा इसने।
ये तो सड़ी सुपाड़ी निकला।।

तय होगी कैसे ये दूरी।
तू तो पंचर गाड़ी निकला।।

ढूँढ रहे हो अब तुम किसको।
वो तो पहन के साड़ी निकला।।

दाँव लगा दी जनता सारी।
राजा बड़ा जुआड़ी निकला।।

कैसे तिनका कोई दिखेगा।
चोर बढ़ाये दाड़ी निकला।।

शेर “अनीस” समझ कर लाये।
लेकिन ये तो हाड़ी निकला।।
– अनीस शाह “अनीस”

2 Likes · 2 Comments · 251 Views
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