कैनवास में माँ का चेहरा
कल रात…
किसी ने…
खटखटाया द्वार!
अनमने…
ऊँघते…
डगमगाते…
खोल दिए..
मैंने –
द्वार!
बहुत देर तक..
कोई न झाँका!!
देखा मैंने –
मैंने ही देखा द्वार पार!
बचपन खड़ा था…..
मेरा-
अर्धनग्न!!
पीछे रंगीन कैनवास पड़ा था!
वहीं कहीं मेरी माँ का चेहरा जड़ा था!!!