कैंसे कैंसे लोग
अरे आजकल नजर आ रहे ,
कैसे कैसे लोग ।
आसमान में उड़े जा रहे ,
कैसे कैसे लोग ।।
चूल्हे चक्की छोड़ आधुनिक
फैशन में डूबे ।
सड़क किनारे खड़े खा रहे,
कैसे कैसे लोग ।।
छोड़ पुराने गीत रसीले
अपनी माटी के ।
गला फाड़कर पॉप गा रहे,
कैसे कैसे लोग ।।
दीन दुखी से नहीं वास्ता
दीन बंधु बनकर ।
मंचो पर सम्मान पा रहे,
कैसे कैसे लोग ।।
किश्तों में ज्यादाद बेंचकर
अपने पुरखों की ।
घर में मोटर कार ला रहे,
कैसे कैसे लोग ।।
तिकड़म भरी चापलूसी से
पद पर जा बैठे ।
जन मानस पर खूब छा रहे,
कैसे कैसे लोग ।।
– सतीश शर्मा सिहोरा, नरसिंहपुर ।