Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2024 · 1 min read

कैंसर और स्वस्थ जीवन

कैंसर और स्वस्थ जीवन:
.

कैंसर एक भयावह बिमारी
मानव जीवन के लिए
एक धब्बा
एक चुनौती है
लेकिन
क्या यह केवल
शारीरिक बिमारी है ?
नकारात्मक सोच भी तो
कैंसर ही है
स्वस्थ सोच
स्वस्थ मानसिकता
सकारत्मक दृष्टिकोण
स्वस्थ विचार धारा
यह भी तो स्वस्थ जीवन है
आजकल की
नैगेटिविटी भी तो
कैंसर है
मानसिक कैंसर
आधुनिक समय में
कैंसर का उपचार हैं
सोच के कैंसर का क्या?
समाज की कुरीतियां भी
कैंसर है
रिश्वत भ्रष्टाचार धोखा
यह भी कैंसर नहीं है क्या?
इन का उपचार हो जाए
जीवन स्वस्थ है।

डॉ करुणा भल्ला

29 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चलना था साथ
चलना था साथ
Dr fauzia Naseem shad
Vishal Prajapati
Vishal Prajapati
Vishal Prajapati
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
अहं का अंकुर न फूटे,बनो चित् मय प्राण धन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता
साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता "ओमप्रकाश"
Dr. Narendra Valmiki
"सफ़ीना हूँ तुझे मंज़िल दिखाऊँगा मिरे 'प्रीतम'
आर.एस. 'प्रीतम'
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
Arvind trivedi
"आत्मा के अमृत"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्कमल कहां हुआ तेरा अफसाना
मुक्कमल कहां हुआ तेरा अफसाना
Seema gupta,Alwar
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
मैं कुछ इस तरह
मैं कुछ इस तरह
Dr Manju Saini
भूले से हमने उनसे
भूले से हमने उनसे
Sunil Suman
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
...और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
'अशांत' शेखर
जो लोग असफलता से बचते है
जो लोग असफलता से बचते है
पूर्वार्थ
आत्मा
आत्मा
Bodhisatva kastooriya
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
ग़ज़ल/नज़्म - उसकी तो बस आदत थी मुस्कुरा कर नज़र झुकाने की
अनिल कुमार
■ भूमिका (08 नवम्बर की)
■ भूमिका (08 नवम्बर की)
*प्रणय प्रभात*
2763. *पूर्णिका*
2763. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आगे हमेशा बढ़ें हम
आगे हमेशा बढ़ें हम
surenderpal vaidya
जून की दोपहर (कविता)
जून की दोपहर (कविता)
Kanchan Khanna
*मर्यादा*
*मर्यादा*
Harminder Kaur
जिंदगी में दो ही लम्हे,
जिंदगी में दो ही लम्हे,
Prof Neelam Sangwan
मेरे वतन मेरे चमन तुझपे हम कुर्बान है
मेरे वतन मेरे चमन तुझपे हम कुर्बान है
gurudeenverma198
ज्ञान का अर्थ
ज्ञान का अर्थ
ओंकार मिश्र
शब-ए-सुखन भी ज़रूरी है,
शब-ए-सुखन भी ज़रूरी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
"सफर,रुकावटें,और हौसले"
Yogendra Chaturwedi
🌸दे मुझे शक्ति🌸
🌸दे मुझे शक्ति🌸
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
देश हमारा भारत प्यारा
देश हमारा भारत प्यारा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
यह आशामय दीप
यह आशामय दीप
Saraswati Bajpai
Loading...