के कितना बिगड़ गए हो तुम
के कितना बिगड़ गए हो तुम, क्या तुम्हे याद भी है,
के कितना बदल गए हो तुम, क्या तुम्हे याद भी है,
सोचते हो तुम खुद में ही, कि जैसे खुदा हुए हो तुम,
सोच के देखो एक पल तुम, कि जैसे हवा हुए हो तुम,
नहीं चाहा जो तुमने जो, कि कैसे अदब से रहना है,
नहीं चल पाओगे फिर तुम, कि कैसे संभल के चलना है,
के कितना भटक गए हो तुम, क्या तुम्हे याद भी है,
के कितना बिगड़ गए हो तुम, क्या तुम्हे याद भी है,
!! आकाशवाणी !!