केहत कहते रह गए
छाता , दिमाग जब खुले तभी हो सब काम
बंद हुए तो बोझ लागे , कह गए तुलसी राम
केहत केेहत वो रह गए हुआ ना कुछ काम
अन्तिम घड़ी आई तब केहत , दाता अल्लाह राम ।।
छाता , दिमाग जब खुले तभी हो सब काम
बंद हुए तो बोझ लागे , कह गए तुलसी राम
केहत केेहत वो रह गए हुआ ना कुछ काम
अन्तिम घड़ी आई तब केहत , दाता अल्लाह राम ।।