केश
केश
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एक दुनिया ऐसी है जहाँ
केश शायर के जुल्फ ही नहीं.
उनका ढंग अलग है,मायने भी.
बाँयी ओर माँग खोलने वाले
होते हैं वामपंथी,
वहीं दक्षिणी कंघी करते हैं
उनके बाल दाहिनी ओर!
लोग उनके बाल से जान लेते हैं
उनका इतिहास, उनके मिजाज.
मसलन बीच माँग वालों का नहीं
हुआ करता कोई मत.
या लम्बे बाल विरले ही देखे गए;
किसी कवि, रंगसाज, या द्रोही के माथे.
खबर है कि अन्यदेशीय खड़े-बाल
वाले शख्स ने किया ज़ुर्म.
घटना से ज्यादा तवज्जो मिली है
उसके ‘खड़े-बाल’ को.
उन्होंने भीड़तंत्र की आड़ में
लिया एक घिनौना फैसला.
गंजे कर दिए गए उस देश के तमाम
लोग जिनके बाल खड़े मिले.
उनकी दुनिया भी गोलाकार है!