* ——कृष्ण —*
कृष्ण तोहर,कल्पना के
बसैए छि हृदय केर द्वार
सभ धड़कनमे,बांसुरी गूँजै,
सपनाक मीठ रुुणझुन धार।
माया के चंचल छाहमे,
मोन सदिखन भटकैत हमर,
कखनो हँसीमे, कखनो नोरमे,
सदा अद्भुत अदृश्य चमत्कार।
तोहर सृष्टि अछि सारा
ई दुनियाँ आ ओकर खेल,
कृष्णक लीला आ माया,
सब हिनकमे बसैय छी, ई अद्वितीय संयोजन।
ध्यान जे, कृष्ण के
माया झुक गेल पास,
दुनियाँक ई वेद पुराण.
बुझल तखन असली आशा।
भ्रम सँ परे मोहे देखल,
कृष्ण रूपक दृश्यमान रहल,
कहियो नहि छुटे,संग तोहर
कल्पनाक भ्रममे मात्र कृष्ण भेटल |
—–श्रीहर्ष