************ कृष्ण -लीला ***********
************ कृष्ण -लीला ***********
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अधरों पर मुरली धरी,मन मोहक सी तान।
सुरों से भरी डाल दे,मृत तन में भी जान।।
सुंदर मुख सा साँवरा, मोर पँख पहचान।
जन गण मन को बाँटता,मंद मधुर मुस्कान।।
मुखड़ा टुकड़ा चाँद सा, मन में बसते प्राण।
रूप देख कर साँवला, राधा हो क़ुरबान।।
राधा मोहन बाँवरे , भूल बैठे जहान।
एक डाल पर बैठते , पंछी दो नादान।।
गोपियों सँग नाचता,यशुमति नंदन लाल।।
तन मन झट से डोलता, रूप बाल गोपाल।।
काली बोली रात में , जन्म लिया अवतार।
मथुरा नगरी थी नाचती , होगा बेडा पार।।
मैया देवकी ने जना,नृपति कंस का काल।
यशोदा मात पालती , वासुदेव का। लाल।।
मनसीरत मन बावरा , होता बहुत अधीर।
कृष्ण लीला देखता , मन बसे बाल वीर।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)