कृष्ण मोहे माफ़ कर ………
कृष्ण मोहे माफ़ कर
मैं ना करू पूजा
मोहे नाही जान तोरी
ना ही कोई दूजा
तू ठहेरो चक्रधारी
मानव मै छोटा
तोसे मेरो मेल नही
भक्त नही खोटा
मूरत तो बहुत देखी
देखा न सामने
दर्शन तुम देत नाही
सुना है नामने
मानव मैं डूब गयो
लालच के बाढ़ में
अब कुछ न दिखे मोहे
पैसन के आड़ में
तू आना तब आना
छोड़ मेरे हाल पे
अब मैं खड़ा हूँ ना
आखर किनार पे
गर तोहे दिखती हो
हालत संसार की
रख लाज दुखियों की
भक्तों के प्यार की
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०