कृष्ण मैं भी नहीं, राधा तुम भी नहीं..
कृष्ण मैं भी नहीं, राधा तुम भी नहीं,
प्रेम फिर भी इबादत से, कम भी नहीं
हाथ मेरा पकड़कर, जो तू थाम ले,
फिर ज़माने से भी मुझको, कुछ गम नहीं..
– नीरज चौहान
कृष्ण मैं भी नहीं, राधा तुम भी नहीं,
प्रेम फिर भी इबादत से, कम भी नहीं
हाथ मेरा पकड़कर, जो तू थाम ले,
फिर ज़माने से भी मुझको, कुछ गम नहीं..
– नीरज चौहान