कृष्ण मिल जाते हैं
पुण्य करे जब कोई
कृष्ण मिल जाते हैं
द्रौपदी पुकारे कोई
कृष्ण चले आते हैं
आते हैं जब कृष्ण
पतझड़ में फूल खिल जाते हैं
हो कृपा उनकी जब
गहरे ज़ख्म भर जाते हैं
है प्यार दिल में तो
प्रेम की मूरत बन जाते हैं
देखना हो वात्सल्य तो
मां बाप की सूरत बन जाते हैं
जाओ शरण में उनकी
बिगड़े काज बन जाते हैं
बनकर देखो सुदामा तुम
कृष्ण किस्मत बदल जाते हैं
गर हो धर्म के साथ तुम
कृष्ण सारथी बन जाते हैं
है दयालू, दुष्टों पर भी
वो उन्हें भी तार जाते हैं
बैरी, शिशुपाल को भी
बैकुंठ धाम पहुंचाते हैं
जानते थे अधर्मी दुर्योधन को
फिर भी उसे समझाते हैं
वो कृष्ण ही है जो
सृष्टि को चलाते हैं
कभी पुकारो सच्चे दिल से
कृष्ण मिल जाते हैं