Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2022 · 1 min read

कृष्ण मिल जाते हैं

पुण्य करे जब कोई
कृष्ण मिल जाते हैं
द्रौपदी पुकारे कोई
कृष्ण चले आते हैं
आते हैं जब कृष्ण
पतझड़ में फूल खिल जाते हैं
हो कृपा उनकी जब
गहरे ज़ख्म भर जाते हैं
है प्यार दिल में तो
प्रेम की मूरत बन जाते हैं
देखना हो वात्सल्य तो
मां बाप की सूरत बन जाते हैं
जाओ शरण में उनकी
बिगड़े काज बन जाते हैं
बनकर देखो सुदामा तुम
कृष्ण किस्मत बदल जाते हैं
गर हो धर्म के साथ तुम
कृष्ण सारथी बन जाते हैं
है दयालू, दुष्टों पर भी
वो उन्हें भी तार जाते हैं
बैरी, शिशुपाल को भी
बैकुंठ धाम पहुंचाते हैं
जानते थे अधर्मी दुर्योधन को
फिर भी उसे समझाते हैं
वो कृष्ण ही है जो
सृष्टि को चलाते हैं
कभी पुकारो सच्चे दिल से
कृष्ण मिल जाते हैं

Language: Hindi
7 Likes · 2 Comments · 471 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
हर दिल-अजीज ना बना करो 'साकी',
हर दिल-अजीज ना बना करो 'साकी',
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी
जिंदगी
Neeraj Agarwal
रणचंडी बन जाओ तुम
रणचंडी बन जाओ तुम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
किसी ने चोट खाई, कोई टूटा, कोई बिखर गया
किसी ने चोट खाई, कोई टूटा, कोई बिखर गया
Manoj Mahato
*शिक्षक*
*शिक्षक*
Dushyant Kumar
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
शेर
शेर
*प्रणय प्रभात*
"You will have days where you feel better, and you will have
पूर्वार्थ
एक तो धर्म की ओढनी
एक तो धर्म की ओढनी
Mahender Singh
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
ruby kumari
राम लला
राम लला
Satyaveer vaishnav
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
VINOD CHAUHAN
खींचातानी  कर   रहे, सारे  नेता लोग
खींचातानी कर रहे, सारे नेता लोग
Dr Archana Gupta
*चॉंदी के बर्तन सदा, सुख के है भंडार (कुंडलिया)*
*चॉंदी के बर्तन सदा, सुख के है भंडार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बदले में
बदले में
Dr fauzia Naseem shad
औपचारिक हूं, वास्तविकता नहीं हूं
औपचारिक हूं, वास्तविकता नहीं हूं
Keshav kishor Kumar
3053.*पूर्णिका*
3053.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"किताब के पन्नों में"
Dr. Kishan tandon kranti
कितना कुछ बाकी था
कितना कुछ बाकी था
Chitra Bisht
गज़ल
गज़ल
Phool gufran
“हिन्दी का सम्मान”
“हिन्दी का सम्मान”
Neeraj kumar Soni
साहस है तो !
साहस है तो !
Ramswaroop Dinkar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
जवानी में तो तुमने भी गजब ढाया होगा
Ram Krishan Rastogi
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
विकास शुक्ल
शरद काल
शरद काल
Ratan Kirtaniya
रंग अलग है
रंग अलग है
surenderpal vaidya
हम क्यूं लिखें
हम क्यूं लिखें
Lovi Mishra
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
Sonam Puneet Dubey
Loading...