कृष्ण भजन
१)कृष्णा अंग बसे राधा
बिन श्याम जग आधा
मन बसे रूप सादा
ये ही सच्ची प्रीत है।
२)श्याम जब से मिले हो
कष्ट सारे ही हरे हो
बजे मधुर सँगीत
ये प्रेम की रीत हैं।
३)दिल में तूम बसे हो
मन मे तूम रमें हो
मेरा तो बस कृष्ण ही
सच्चा मनमीत है।
४)मधुर कितना लगे
जब प्रभु भक्ति जगे
दिल के तार बजे है
जीवन संगीत है।
✍संध्या चतुर्वेदी
मथुरा उप