कृष्ण भजन
भुजंगप्रयात छन्द
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धुन- तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्हीं मेरी पूजा
कृष्ण भजन
न भटकूँ कभी भी करूँ भक्ति तेरी
हमें साँवरे से लगी अब लगन है।
हमें श्याम बंशी सुरीली सुना दो।
परेशान हूँ दास अपना बना लो।
मिटा दो सभी दुख हमारे कन्हैया।
रहे मन हमारा भजन में मगन है।
न भटकूँ कभी भी करूँ भक्ति तेरी
हमें साँवरे से लगी अब लगन है।
बचाई सदा द्रौपदी लाज तुमने।
बनाया जहर श्याम अम्रत तुम्हीं ने।
जिसे पी गयी भक्त मीरा बिचारी।
हुआ फिर वहाँ भक्ति का ही असर है।
न भटकूँ कभी भी करूँ भक्ति तेरी
हमें साँवरे से लगी अब लगन है।
गिरे को उठाकर तुम्हीं ने चलाया।
अहंकार तुमने क्षणों में जलाया।
सदा भक्त को प्रभु दिया है सहारा।
करे जो तुम्हारा सदा नित भजन है।
न भटकूँ कभी भी करूँ भक्ति तेरी
हमें साँवरे से लगी अब लगन है।
यही अर्ज मेरी कन्हैया तुम्हीं से।
करूँ नाम रोशन सदा जिन्दगी में।
यही आस हो पूर्ण गिरधर हमारी।
सदा उड़ सकूँ मैं खुलकर गगन में।
न भटकूँ कभी भी करूँ भक्ति तेरी
हमें साँवरे से लगी अब लगन है।
अभिनव मिश्र अदम्य
शाहजहाँपुर, उ.प्र.