कृष्ण पक्ष// गीत
तुम्हें देखने वाली लड़की कृष्ण पक्ष में क्या करती है ?
चाँद कभी सोचा है तुमने ?
जब पेड़ो के झुरमुट में भी भूतों की शक्लें दिखतीं हैं।
जब आँखें उम्मीद सजाए तारों को गिनने लगतीं हैं।
जब अनजाने पंछी का स्वर उसका ध्यान तोड़ देता है।
जब आहट होने पर कोई साया तलक नहीं दिखता है।
तब भी आधी रात अकेली, छत पर क्यों बैठी रहती है ?
चाँद कभी सोचा है तुमने ?
जब उसकी मुकरी सी बातें सखियां समझ नहीं पातीं हैं।
जब उसका बचपना देखकर मम्मी दुनिया समझातीं हैं।
जब उसको खुद अपना ही मन बिल्कुल समझ नहीं आता है।
जब उसकी अनमनी दृष्टि में सबकुछ बेरंग हो जाता है।
तब तिथियों के कैलेंडर में, जाने क्या ढूँढा करती है ?
चाँद कभी सोचा है तुमने ?
चाँद तुम्हें तो मालूम है न, कितनी बड़ी हो गयी है वो।
दुनियाभर के तौर तरीकों में अब खरी हो गयी है वो।
लेकिन चंदा उसके मन की चंचलता भी तुम्हें पता है।
उसके मन के भीतर अब भी निश्छल बचपन छुपा हुआ है।
पढ़ने से कतराने वाली, तुमको मन से क्यों पढ़ती है।
चाँद कभी सोचा है तुमने ?
– shiva awasthi