” कृष्ण – कृष्ण गाती रहूं “
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तेरे लिए जो भी करूं ,
चाहें जो हो सब मैं सहु ।
बस इतना मैं कहूं ,
तेरे बिना ना मैं रहूं ,
कृष्ण – कृष्ण गाती रहूं ।
हे प्रभु ! मैं कैसे कहूं ,
तुझ से तो प्रेम करूं ।
विष पीने से ना डरूं ,
तेरे होने से है ये रूह ,
कृष्ण – कृष्ण गाती रहूं ।
प्रेम से भरा ये लहू ,
तेरी आज्ञा से चलूं ।
कभी ना मैं भय से डरूं ,
जो भी हो स्वीकार करूं ,
कृष्ण – कृष्ण गाती रहूं ।
मैं हूं शाखा तु है तरू ,
धैर्य मैं हमेशा धरूं ।
सतगुण से मैं भरू ,
तेरा सिमरन कर के मरूं ,
कृष्ण – कृष्ण गाती रहूं ।
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?धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली