कृष्ण कन्हैया लाल
साँवली सूरत मोहनी मूरत कृष्ण कन्हैया लाल
निरखे जो कोई रुप तिहारा हो जाएं निहाल
पीताम्बर पट सिर मोर मुकुट अद्भुत छवि
जिसकी बाँसुरी की धुन पर हर गोपी वारी
अष्टमी तिथि भादों माह में जन्मे नन्दलाल
चहुँ ओर उजियारा करने आए बिरज के लाल
जग के तारणहार लीला जिसकी अपरम्पार
मीरा के प्रभु गिरधर नागर कर्मा के घनश्याम
प्रीत के सागर अविरल जिसकी भक्ति रस धार
सबके हृदय बिराजे जिसका रूप सगुण साकार
प्यासी अखियन में इक आस जगी है आज
राह तक रहे भक्त आओ कृष्ण कन्हैया लाल