कृष्णा
यमुना या कालिंदी का तीर
मथुरा और बृज का वीर
माखनचोर,कन्हैया,माधव
मोहन,कान्हा या जाधव
कितने नाम है तेरे ?
सब कहते कृष्णा है मेरे,
श्याम-रात्रि को जनम लिया
श्याम-रंग को पहन लिया
अधर्म के काले युग को
धर्म के उजाले में बदल दिया,
सब तू ही रचता है
फिर धीरे से हँसता है
तेरा खेल निराला
मीरा का विष-प्याला
तूने ही तो पी डाला,
दुर्योधन के इंकार पर
अपना रूप दिखा डाला,
कालीया के अहंकार को
पैरों तले कुचल कुचल डाला,
विदुर के घर भोजन करके
नियमों को ही बदल डाला,
द्रोपदी का चीर बढ़ा कर
दोस्ती को निभा डाला,
पार्थ-सारथी बन कर
गीता तूने रच डाला,
वचन दिया राधा को
उसको खूब निभाया
अपने नाम से पहले
उनका नाम लगाया,
सम्पूर्ण जगत के रचयिता
तू सबमें है बसता
उन्हें लगता तू उनमें है
मुझे लगता तू मुझमे है
ये तेरी ही माया है
तुम सबमे सब तुझमें हैं,
तुम नस-नस में हो उतरे
तुम कण-कण में हो समाये
तेरी महिमा के आगे
हम सबने शीष झुकाये !!!
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/08/13 )