कृषक
फटी आंखों से आकाश देखते हैं
रोज सुबह शाम बादल का मिजाज देखते हैं,
देखते है जब आसमान में थोड़ा सा बदल
तो मन में आस लगा लेते हैं,
हवा का रुख देख देख कर
वर्षा का अनुमान लगा लेते हैं
आजा नही तो कल होगी वर्षा…..
हमदर्द हमारा कोई न हुआ
तकदीर सहारे जीते हैं
साथ रहे तुम्हारा, हे प्रकृति;
हमारे फसल तुम्हारे पानी पीते हैं,
इस बार नही तो उस बार होगी वर्षा…..
दिन देखते हैं रात देखते हैं
आसमान के कोने कोने में
बादल की जमात देखते हैं;
हे शिव ! खोल दो जटा की धार
क्योंकि, मौसम विज्ञानी का पूर्वानुमान सुनते हैं ।
इस बार खेती के लिए अनुकूल वर्षा होगी……