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20 Apr 2024 · 1 min read

” कृषक की व्यथा “

दवा,खाद,डीजल महँग,
बजट हुइ गवा, टाइट।
ट्रैक्टरवा सम्हराइ कै,
करि छिड़काव, पोलाइट l

दिन ही दिन कौ काम सब,
आवत नाहीं, लाइट।
नीँबू पानी पी रहे,
जुड़त नाहिं, स्प्राइट।।

स्प्रे करतहिँ, पात सब,
भये एकदम, ब्राइट।
भूलि गए सिगरी थकन,
उर भरि गई, डिलाइट।।

नीलगाय अरु सांड संग,
बीतत पूरी नाइट l
फसल बचावन माहि,
होइ जावत है तगड़ी फाइट l

ढूँढि रहे सब नौकरी,
देखि कृषक की, प्लाइट।
युवकन के भेजा घुसी,
एअरपोर्ट की, फ्लाइट।।

को बैठै छाया तले,
भावत नाहीं, साइट।
“आशा” भरते वृक्ष सब,
रखते मन को, क्वाइट…!

##———-##———-##

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 103 Views
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