कृपा दृष्टि की आस
कृपा दृष्टि की आस लिये
ढूंढ रहा है, वो तुझे मुरारी
वृन्दावन की उन गलियों मे
जहां गूंजी थी, तेरी किलकारी ।
मोह माया से, त्याग लिये
घूम रहा है, साधू बन के
बता रहा, तेरी लीला न्यारी
कृष्णा कृष्णा, हे बलिहारी ।
गीता का वो ज्ञान लिये
सुना रहा है, बातें प्यारी
दो दिन की, ये दुनिया सारी
मालिक जिसका, तू गिरधारी ।
छवि तुम्हारी, मन मे लिये
आंखों से वो देख रहा है
आते जाते लोगों मे वो
खोज रहा है तुझे बिहारी ।।
राज विग