कृपाण घनाक्षरी….
१-हे प्रभु ले अवतार…
अद्भुत यह संसार, समझ न आए पार,
फँसी नाव मझधार, कर प्रभु बेड़ा पार।
लेकर धर्म की आड़, करें सभी खिलवाड़,
मेटे से मिटे न राड़, बढ़ रहा अंधियार।
सबकी अपनी शान, सबका अपना मान,
सभी हैं गुण की खान, करते धन से वार।
बढ़ रहे अत्याचार, सुन जरा हाहाकार,
मिटा जगती का भार, हे प्रभु ! ले अवतार।
२-करूँ श्याम मनुहार…
करूँ श्याम मनुहार, सुन ले पीन पुकार।
चली आई तेरे द्वार, कर दे रे बेड़ा पार।
तू ही जीवन आधार, तुझसे ही ये संसार,
है तू ही खेवनहार, थाम मेरी पतवार।
अद्भुत रचा प्रपंच, दिखाई दया न रंच,
कैसा रे तू सरपंच, है सत्य जहाँ लाचार।
कोई नहीं सच्चा मीत, झूठी है सबकी प्रीत,
कैसे निभे कोई रीत, घिरा घना अँधियार।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )