*कृपया पीकदान में थूकें(बाल कविता)*
कृपया पीकदान में थूकें(बाल कविता)
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श्रीमान पीकू जी दिन-भर
पीक थूकते रहते
बीत गए बरसों
पत्नी को आदत सहते-सहते
तभी एक दिन श्रीमती जी
बोलीं नाथ हमारे
पीकदान लेकर आई हूँ
सिर्फ आपके मारे
इधर-उधर अब पीक थूकते
नजर न हर्गिज आऍं
कृपया पीकदान में थूकें
थोड़ा कष्ट उठाऍं”
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451