कृत्रिम बुद्धिमत्ता (ARTIFICIAL INTELLIGENCE)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता से तात्पर्य मानव निर्मित मशीन में सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास
करना है। इसे वर्तमान में विज्ञान का सबसे उन्नत रूप माना जाता है इसके द्वारा मशीनों में एक ऐसे दिमाग का निर्माण किया जाता है कि वे मशीनें मानुष्यों की भांति सोच, समझ तथा निर्णय ले सके। अर्थात यह कहना गलत नहीं होगा कि यह कम्प्यूटर अथवा मशीन को इंसान की भांति सोचने, समझने, निर्णय लेने तथा कार्य करने की क्षमता प्रदान करने की प्रक्रिया है।
यह एक ऐसा अविष्कार है, जोकि प्रौद्योगिकी की परिभाषा का पूरक है क्योकि मानव ने स्वयं अपने जैसी रचना रोबोट्स के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिये लगभग कर दी है। मानव निर्मित कृत्रिम बुद्धिमत्ता स्वयं मानव की परिकल्पना से भी कई गुना आगे है, जोकि भविष्य में एक अलग दुनिया की स्थापना करने का सामर्थ्य रखती है। यह मानव और मशीनों के बीच ऐसा सम्बन्ध स्थापित करने की ओर अग्रसर है कि मानव कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पूर्णरूप से निर्भर हो जाएगा और बिना कृत्रिम बुद्धिमत्ता के मानव जीवन असंभव सा प्रतीत होने लगेगा।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोगः-
कृत्रिम बुद्धिमत्ता अति विशाल स्वरुप में और विविध रूपों में हमारे दैनिक जीवन में इस प्रकार अपना
अस्तित्व बनाने में अग्रसर है कि इसके अभाव में स्वास्थ्य देखभाल और वित्त से लेकर परिवहन, मनोरंजन और बहुत कुछ असम्भव सा प्रतीत होने लगा है। जैसे कि स्व-चालित गाड़ियां, एआई पावर्ड असिस्टेंट, चेहरा दिखाकर मोबाइल एवं अन्य उपकरणों का सुरक्षा घेरा भेदना, शिफारिश प्रणाली, रोबोटिक्स इत्यादि ।
वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का सबसे लोकप्रिय उदाहरण चैट जीपीटी है, यह एक ऐसा साफ्टवेयर है
जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता द्वारा प्रश्न टाइप करते ही उत्तर प्रदान कर देता है। यदि उत्तर उपयोगकर्ता के
अनुकूल नहीं है तो पुनः प्रयास पर इसके द्वारा अलग उत्तर अलग वर्तनी में प्राप्त किया जा सकता है। यह बिल्कुल एक इंसान जैसा उत्तर देता है। एआई फोटो जनरेटर, जो कि एक अलग प्रकार का साफ्टवेयर है उयोगकर्ता के प्रश्न टाइप करते ही मनमाफिक फोटो जनरेट कर देता है। ये बिल्कुल ही अकल्पनीय साफ्टवेयर है।
भारत में भी तकनीकी विकास के लिए अनेक प्रकार के प्रयास किये जाते हैं। नवीन तकनीक को अपनाने
में भी भारतीय सदैव आगे रहते हैं। इस दिशा में 2018-19 में तत्कालीन वित्त मंत्री ने नीति आयोग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता से सम्बन्धित राष्ट्रीय रणनीति की घोषणा की थी। अपनी रणनीति में नीति आयोग ने यह दर्शाया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में भारत में कितना सामर्थ्य है, तथा इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने में भारत आगे किस प्रकार का रुख अपनाने वाला है। नीति आयोग ने अपनी इस रणनीति में न केवल भारत, अपितु उसके वैश्विक विस्तार पर भी ध्यान केन्द्रित किया है। नीति आयोग ने भारत के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए इसके 3 घटक निर्धारित किये हैं जो कि निम्नानुसार है:-
(1) ‘ग्रेटर गुड’ के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ताः- सामाजिक विकास और समावेशी विकास।
(2) अवसरः भारत के लिए आर्थिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उपयोगिता।
(3) विश्व के 40% लोगों के लिए ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता गैराज’
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) का योगदान एवं भागीदारी:-
इस दिशा में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की शाखा ‘कृत्रिम ज्ञान तथा रोबोटिक केन्द्र (CAIR) ने
बुद्धिमान प्रणालियों, सूचना प्रसंस्करण प्रणालियों, सामरिक कमान नियंत्रण, संचार प्रणालियों और सुरक्षा समाधानों की एक श्रृंखला के विकास में लगा हुआ है। इसके साथ ही, प्रयोगशाला इन प्रणालियों के लिए प्रासंगिक उन्नत प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास के लिए कार्यरत है। सी.ए.आई. आर के वर्तमान प्रमुख क्षेत्र हैं। सामरिक कमान नियंत्रण और संचार प्रणाली, बुद्धिमान प्रणाली, मानव रहित प्रणाली, सूचना सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स के लिए नेत्रिका प्रणाली ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुसंधान तथा
विकास में अभूतपूर्व योगदान प्रदान किया जा रहा है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता से मानव जीवन के लिए लाभ/
हानि:-
इसके उपयोग के तरीके के आधार पर दोस्त और दुश्मन दोनो के रूप में देखा जा सकता है। कृत्रिम
बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी रुचिहीन कार्यों को स्वचालित करके और अधिक कुशल बना सकती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता कुछ कार्यों को स्वचालित करके आसान बनाता है। इसलिए लोगों को नौकरी छूटने और संभावित बेरोजगारी की चिंता होती है, खासकर उन उद्योगों में जो मैनुअल काम या बार-बार किये जाने वाले कार्यों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा किसी भी कार्य प्रणाली को हैक किया जा सकता है, या बदला जा सकता है, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता संचालित प्रौद्योगिकियों का गलत उपयोग भी हो सकता है। भविष्य में सामाजिक जीवन पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का महत्व इतना बढ़ जाएगा की कहीं-न-कहीं मानव के लिए यह उपयोगी के साथ-साथ खतरा भी बन जाएगा, जोकि प्राकृतिक रूप से भी मानव सभ्यता के प्रतिकूल होगा। जिसका जीवंत उदाहरण अमेरिकी सैन्य अधिकारी हैमिल्टन के अनुसार, सिस्टम ने यह महसूस किया कि कई बार टारगेट को मारने के लिए नहीं कहने पर भी ड्रोन ने टारगेट को मारने की बात कही। हैमिल्टन के द्वारा कहा गया कि उसने आपरेटर को मार डाला क्योंकि
वह व्यक्ति इसे अपने उद्देश्य को पूरा करने से रोक रहा था यह चिन्ता का विषय है, हालांकि उक्त तथ्यों का
मिडिया के अलावा अन्य कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है।
निष्कर्ष:-
कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने विभिन्न उद्योगों में क्रान्ति ला दी है और इसका तेजी से विकास किया जा रहा है भारत
सरकार द्वारा भी इसके विकास के लिए अनेको प्रयास किये जा रहे हैं। हालांकि, इसके जिम्मेदार और लाभकारी उपयोग को सुनिष्चित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े नैतिक विचारों और संभावित जोखिमों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।