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26 Nov 2021 · 1 min read

कृतज्ञता का मनोभाव

कृतज्ञता का मनोभाव

मन कृतज्ञता भाव रख, खुशियाँ मिलें अपार।
भौतिकता की सोच तज, करें नित्य उपकार।।
करें नित्य उपकार, स्वार्थ तज बनें सहारा।
रखें नम्र व्यवहार, लगे जन-जन को प्यारा।।
कह ‘रजनी’ समझाय,संँहारो कभी न जीवन।
भोगोगे संत्रास, नहीं सुख पाएगा मन।।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)

3 Likes · 6 Comments · 458 Views
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