कृतज्ञता का मनोभाव
कृतज्ञता का मनोभाव
मन कृतज्ञता भाव रख, खुशियाँ मिलें अपार।
भौतिकता की सोच तज, करें नित्य उपकार।।
करें नित्य उपकार, स्वार्थ तज बनें सहारा।
रखें नम्र व्यवहार, लगे जन-जन को प्यारा।।
कह ‘रजनी’ समझाय,संँहारो कभी न जीवन।
भोगोगे संत्रास, नहीं सुख पाएगा मन।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)