कूल नानी
नानीजी मेरी हैं बड़ीं कूल।
पर छोटा हूँ;वह जाती भूल।।
अलग ही चलते इनके रूल।
हँसकर कहतीं चल तू स्कूल।।
ग्यारह माह का अबोध भला
कभी कहीं स्कूल को जाता है।
टीचर नानी- मम्मा को कोई,
भला क्यों? नहीं समझाता है।
थमा किताबें,पैंसिल, टूल !
नानी क्यों? दें बातों को तूल !!
हँसकर कहतीं चल तू स्कूल।।
उन्हें क्या कान्हा मुझमें दिखा है ?
मेरे साइज़ का ग्लोब रखा है।।
नानी मुझको रही सिखा है।
कितना पानी? कितना मूल?
बातें मुझे लगती उल-जुलूल!
सुनते ही गया मैं तो भूल !!
हँसकर कहतीं चल तू स्कूल।।
नीलम शर्मा ✍️