कूटुम कठिन नहि पथ कोनो(कविता)
के चिन्है तोरा
के भावै तोरा
नहि सोचू
स्वप्न सँ आगु बढ़ू,बखत केर संग चलू
लक्ष्य जौं नहि भेटैय तऽ जानू
खोट रहैए कोनो,उठू जागू नहि बैयसू
कूटुम कठिन नहि पथ कोनो
नित माय बाप आशीष माथ धरू
आनो के मानू अप्पन सगरो
संस्कार संस्कृति मातृभाषा हिय बैसा
पुरान परिधान जान धारण करू
यैह सोच बदलू
प्यार सनेह बरसाउ
आब हिय सब ठाम बोलै सदा
सगरे सहे पाथर छैनी सदा
बनल मूरत जऽ मंदिर मे पूजल जायै
कूटुम,नैय राखू हिय पर बोझ कोनो
काल्हि वियाह आज मरन पियै
पंगडडी आरि जीवन सारी
चलू माँ तोरा संग चलू
हंसू कनी हिय हंसाबै, अन्हार मे इजोत आबै
जियैत जिनगी नव जयदेव के जानै
कूटुम कठिन नहि पथ कोनो
मौलिक एवं स्वरचित
@श्रीहर्ष आचार्य