कूटकर चले गए – डी के निवातिया
कूटकर चले गए
!
आये थे माली बनकर, चमन लूटकर चले गए,
देख उन के घड़याली आंसू हम भूलकर चले गए,
जिन पे किया दिल ने भरोसा वो जख्म ऐसा दे गए,
पीठ थप-थपाने के बहाने, वो कूटकर चले गए,
!
डी के निवातिया
कूटकर चले गए
!
आये थे माली बनकर, चमन लूटकर चले गए,
देख उन के घड़याली आंसू हम भूलकर चले गए,
जिन पे किया दिल ने भरोसा वो जख्म ऐसा दे गए,
पीठ थप-थपाने के बहाने, वो कूटकर चले गए,
!
डी के निवातिया