ना होता कुलनाश, चले धर्म-कर्म से जो
जो ना पूजे राम को, वाकी दुर्गति होय
रावणके कुलनाश को, टाल सका ना कोय
टाल सका ना कोय, सभी ने था समझाया
शुभचिन्तक को किन्तु, मूर्ख ने दूर भगाया
महावीर कविराय, त्याग देता इच्छा वो
ना होता कुलनाश, चले धर्म-कर्म से जो
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