कुलभूषण भारत का सम्मान
“भीख मांगकर जीने वाले ओ विद्रोही पाकिस्तान ,
आतंकवाद का जहर फ़ैलाने वाले पाकिस्तान !
ये मत सोच की तेरी करतूतों ,
का हमे ज्ञान न था !
पर तू इस हद तक गिर जायेगा ,
इसका हमे अनुमान न था !!
मंगलसूत्र और चूड़ी छीन कर ,
तूने नारी का अपमान किया !
शीशे की दीवार बनाकर ,
माँ को बेटे से दूर किया !!
गोले और बारूदों से जब तू जीत नहीं पाया ,
अपनी भड़ास दिखाने को तूने ये नीच काम भी कर डाला !
कुलभूषण के नाम पे तूने भारत का अपमान किया ,
पहले से भड़की आग को तूने और भी हवा दिया !
देख तेरे दोजख का रास्ता तूने खुद ही खोल दिया ,
मिटने को तैयार हैं तू ये तूने खुद ही बोल दिया !!
ले आओ तुम चाहे हज़ार कसाब ,
या अफ़ज़ल ले आओ तुम !
पाकिस्तान की अर्थी उठाने ,को रहो तैयार तुम !!
महाभारत का तुमको बहुत शौक है ,
हम तुमको असली पाठ पढ़ाएंगे !
कुरुक्षेत्र में जो हश्र हुआ कौरवों का ,
वो हम तुमको दिखलायेंगे “!!