कुर्सी है बेदाग़ कहाँ?
कुर्सी है बेदाग़ कहाँ, सारे दागी बैठ गये?
सड़कों पर चिल्लाने वाले थककर बाग़ी बैठ गये,
मंचों पर खु़ददारी जो बयाँ किया करते थे साहब,
पता चला बाज़ारों में ख़ुद बिकने को राज़ी बैठ गये,
सत्ता का सुख पाने को कुछ भी कर जाते है ये,
कल तलक थे साइकिल पर अब हाथी पर बैठ गये।