कुर्सी के दावेदार
प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार बहुत हैं ,
एक तो पदयात्रा पर देश को जोड़ने निकले हैं,
दूसरे तो गठबंधन की सरकार बनाने निकले हैं,
लालसा कुर्सी की सभी को हो,
तो गठबंधन मजबूत कैसे हो ?
मुश्किल यही है, कि गठबंधन का
नेता कौन हो ?
परस्पर वैचारिक अंतर के चलते,
नेतृत्व कैसे मंजूर हो?
अपने आंतरिक विवादों को तो
सुलझा नहीं पाते,
राजनीतिक वर्चस्व के लिए
हमेशा लड़ते रहते,
पहले खुद सुलझ लें , तभी एकमत होकर
देश का शासन संभाल पायेंगे ,
नहीं तो देश को जोड़ने के स्थान पर,
इसके टुकड़े- टुकड़े कर जाएंगे ,
आपस में लड़ भिड़ेंगे ,
और देश को उन्नति के स्थान पर,
पतन के गर्त में ले जाएंगे।