कुम्हार जाति : ‘उपनामगत’ संक्षिप्त अध्ययन
मध्यप्रदेश (सेंट्रल प्रोविंस) में ‘कुम्हार’ अनुसूचित जाति (एससी) में है , जहाँ बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म हुआ था (महू में) । महार का अर्थ ‘माटी-पुत्र’ (सन ऑफ सॉइल) है और कुम्हार भी ‘माटी-पेशा’ से जुड़ा है .’मेहरा’ (मेहरोत्रा) एससी में आते है ,जो उच्चारण में ‘महार’ के सामान है।
मेहरा को कोई खत्री , तो महार के लिए सिंधी होने की समझ थी, कश्यप गोत्र की दशा इनसे जुड़ी हैं ! ऐसे में दोनों जाति की पुर्व-स्थिति उच्च वर्ण की हो जाती है । महाराष्ट्र के नागपुर में ‘महार’ और झारखण्ड के छोटानागपुर में ‘कुम्हार’ होने संबंधि यायावरी-दृष्टिकोण लिए हैं ! फिर रामजी सकपाल लिए “पाल” (गड़ेरिया को छोड़कर) कुम्हार ही है ,क्योंकिं गरेरी ‘यादव’ जाति है ।
‘अम्बेड’ को ब्राह्मण बाहुल्य जिला रत्नागिरी के ग्राम ‘अंबावडे’ के रूप में भी किसी ने लिखा हैं ।जबकि उनकी माँ की उपनाम ‘मुर्बाडकर’ बताई जाती ! सूबेदार पिता की आर्थिक स्थिति ठीक थी। अगर “सकपाल” को ‘शंखपाल” भी माने , तो माटी कला के रूप लिए वे कुम्हार ही होंगे !