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22 May 2021 · 2 min read

कुबूल है। कुबूल है। कुबूल है।

सलीम एक निहायत सीधा साधा युवक था पर उसमें एक बड़ी खामी थी कि वह कोई भी काम टिक कर नहीं कर पाता था। कुछ महीने काम पर कुछ महीने घर पर। ख़ैर उसका निकाह हुआ और एक बेहद खूबसूरत बीबी उसे मिली। जो देखता देखता रह जाता। कुछ वक्त सुकून से गुजरा पर उसकी बीबी पर उसके अब्बा से लेकर उसके भाइयों तक कि नज़र थी। वक्त ने करवट बदली और सलीम कई महीनों तक बेरोजगार रहा। पाई पाई के लिए मोहताज़ हो गया। पहले ऐसी स्थिति में उसके घर वाले उसका साथ देते थे पर इस बार कोई मदद को नहीं आया। एक दिन बीबी के साथ किचकिच में उसके मुंह से तलाक निकल गया। अब निकल गया तो निकल गया। रास्ता तो हलाला से होकर ही गुजरता था। ससुर ने मौलवी से साठ गांठ की और बहू का हलाला हो गया। वो वापस सलीम की बीबी थी। भाइयों ने सारा खेल देखा औऱ समझा। फिर क्या था तलाक और हलाला का सिलसिला ही चल पड़ा। सलीम की बीबी इससे परेशान हो गयी। वह अपने आपको इंसान न समझ कर एक जानवर समझने लगी। फिर एक रात उसने बहुत ही जायकेदार बिरियानी बनाई , सबको खिलाई पर खुद नहीं खाई। दूसरे दिन सलीम के घर से कई जनाज़े निकले।पर उसमें सलीम की बीबी का जनाज़ा नहीं था। गिरफ्तार हुई , मुकद्दमा चला पर उसने सिर्फ एक वाक्य में अपना दर्द बयान कर दिया।

इन सब लोगों ने मिलकर जो जहर मेरी रूह में भरा था मैंने उन्हें वही जहर वापस लौटा दिया है। अब जो सज़ा दें ,
कुबूल है।
कुबूल है,
कुबूल है।

Language: Hindi
16 Likes · 3 Comments · 640 Views
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