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16 Mar 2021 · 1 min read

कुबूल ज़िन्दगी

चाहे हो कांटे चाहे हो फूल ज़िन्दगी
हर हाल होनी चाहिए कुबूल ज़िन्दगी

काम जो किसी के आए न हम कभी
मेरे ख्याल में तो है फ़िज़ूल ज़िन्दगी

खुद को भी वक्त दे नहीं पाता है आदमी
जाने कहां पे हो गई मशगूल ज़िन्दगी

जिसे देखो व दर्दो ग़म मे है मुब्तिला
मिलती नहीं किसी को माकूल ज़िन्दगी

अपने हो या ग़ैर “अर्श” खंजर लिए बैठे हैं
लोगो ने समझ रखी है मक्तूल ज़िन्दगी

3 Likes · 8 Comments · 359 Views
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