कुन्डली (अधर छंद)- गुरू सक्सेना
कुण्डली (राधा कृष्ण होली)
अधर छंद
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नट नागर के रंग से राधा का तन लाल
राधा के रंग से लगें, लाल लाल नंदलाल ।
लाल लाल नंदलाल,रंग खेलत न हारें ।
रंग संग दिल चंग ,नचाकर नैन निहारें ।
लीला गाकर थके ज्ञान के गहरे सागर ।
रास रचैया,कृष्ण कन्हैया जय नटनागर ।।
गुरू सक्सेना, नरसिंहपुर