कुदरत से बयाँ हो रहे जन्नत के निशाँ
1.
कुदरत से बयाँ हो रहे
जन्नत के निशाँ
ये उस खुदा का करम नहीं है
तो फिर और क्या है
2.
काबिल किया है तूने
अपने करम से मुझको
दो शब्द लिख रहा हूँ
वो भी तेरे करम से
1.
कुदरत से बयाँ हो रहे
जन्नत के निशाँ
ये उस खुदा का करम नहीं है
तो फिर और क्या है
2.
काबिल किया है तूने
अपने करम से मुझको
दो शब्द लिख रहा हूँ
वो भी तेरे करम से