अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
जब प्रेम की अनुभूति होने लगे तब आप समझ जाना की आप सफलता के त
तमन्ना है बस तुझको देखूॅं
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
खैर जाने दो छोड़ो ज़िक्र मौहब्बत का,
मेरी खुशी हमेसा भटकती रही
हिन्दी दोहा बिषय-जगत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
निगाहें प्यार की ऊंची हैं सब दुवाओं से,
मित्र दिवस पर आपको, सादर मेरा प्रणाम 🙏
"जो इंसान कहलाने लायक नहीं,
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो जो मुझसे यूं रूठ गई है,
मैं अगर आग में चूल्हे की यूँ जल सकती हूँ
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*