*”कुदरत का करिश्मा है”*
कुदरत का करिश्मा”
कुदरत का ये खेल निराला ,
कहीं धरती हरीभरी हरियाली ,
कहीं सूखा प्रभावित बंजर भूमि,
कहीं पानी भूकंप बाढ़ कहीं सूखी धरती ,
कुदरत का करिश्मा है
कहीं खाने को भरपूर अनाज,
कहीं भूखे प्यासे गरीब अनाथ ,
कोई पानी को तरस रहा है।
कोई भूखे पेट अन्न जल को ,
कहीं अन्न फेंक कर अपमान ,
कुदरत का करिश्मा है
प्रकृति से खुशहाल जीवन ,
प्रकृति से सदा सुखी जीवन ,
क्यों न समझे ये मानव जीवन ,
कदर इसकी कर लेता तो ,
सदैव सुखी जीवन जीता ,
कुदरत का करिश्मा है
रोटी कपड़ा मकान बनाता ,
पेड़ो से ही शुद्ध सांस ले पाता ,
प्रकृति से ही जड़ी बूटी बनाता,
स्वस्थ रखने औषधि है पाता ,
फिर क्यों उन्हें हानि पहुंचाता ,
कुदरत का करिश्मा है
पेड़ो से फूलों का उपवन ,
युगल गीत प्रीत का मीत बन ,
पँछी उड़ता बैठ जंगल वन ,
उनके कलरव से महके जीवन ,
क्यों उजाड़ रहा ये मानव तन ,
कुदरत के साथ खिलवाड़ बेमन ,
कुदरत का करिश्मा है
पेड़ पौधे लगाइए उजड़े चमन को महकाये
स्वस्थ सुंदर जीवन बनाये ।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️